उत्तराखंड की सुनीता ने पीएम को भेजा चटनी का जार, बदलें में 15 अगस्त समारोह के लिए मिला विशेष आमंत्रण

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देहरादून: स्वतंत्रता दिवस समारोह के लिए उत्तराखंड की सुनीता रौतेला को पीएमओ को ओर से विशेष अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया हैं। इसके बाद उनकी खुशी का ठिकाना नहीं है। 

दरअसल, चार माह पहले सुनीता ने पीएम नरेंद्र मोदी को चटनी का एक जार भेजा था। वह खुशी जताते हुए कहती हैं, आचार अच्छा बना होगा। हमारी मेहनत इतनी बेहतर थी कि पीएम ऑफिस की नजर उस पर पड़ी। सुनीता उत्तरकाशी के दूर-दराज इलाके में स्थित एक गांव की सीमांत सेब उत्पादक हैं। वे ग्रामीणों के साथ मिलकर सेब की चटनी और जैम बनाने का कार्य करती हैं। उन्होंने इसे पीएम मोदी को भेजा तो उनके उत्पाद की सराहना के रूप में उन्हें इस साल के स्वतंत्रता दिवस समारोह का आमंत्रण मिला।

उत्तरकाशी की 40 वर्षीय सुनीता रौतेला ने अपने पति की मदद से पिछले साल मई में एक किसान उत्पादक संगठन का गठन किया। उत्तरकाशी जिले के झाला के 162 ग्रामीणों को मिलाकर उन्होंने उपला तकनोर कृषक उत्पादक संगठन का गठन किया। संस्थान ने सेब की चटनी और जैम बनाने का काम शुरू किया। इस साल मार्च में सुनीता ने पीएम मोदी को चटनी भेजी। करीब दो माह बाद यानी मई माह में गांव के प्रधान हरीश राणा को पीएमओ की ओर से एक पत्र मिला। इसमें सुनीता के अचार और उनके प्रयासों की पीएम मोदी ने सराहना की थी। इसके बाद सुनीता की चर्चा पूरे इलाके में होने लगी।

सुनीता रौतेला भी झाला के अधिकांश सीमांत सेब उत्पादकों की तरह एक साल पहले तक मुश्किल से अपना गुजारा कर पाती थी। हालांकि, उन्होंने बदलाव का प्रयास शुरू किया। यूएनडीपी के समर्थन से उन्होंने ग्रामीणो को एकजुट किया। कड़ी मेहनत से उन्होंने वहां के सेब उत्पादकों के समक्ष बदलाव का एक उदाहरण सेट कर दिया है। सुनीता के 42 वर्षीय पति भरत रौतेला कहते हैं कि फसल का बर्बाद होना हमारे जैसे सीमांत किसानों के लिए दर्दनाक रहता है। भाव में जल्दी होने वाली गिरावट के कारण इस प्रकार की स्थिति का सामना करना पड़ता था। कम कीमत, ट्रांसपोर्टेशन की दिक्कत और बाजार की अनुपलब्धता जैसे कारण हमें परेशान कर रहे थे।

भरत कहते हैं कि इसके बाद हमने कृषक उत्पादक संगठन बनाने का निर्णय लिया। हमें इस संबंध में सरकारी योजना की जानकारी मिल। इस योजना के तहत ग्रामीण एक संगठन बना सकते हैं। अपने गांव में फूड प्रोसेसिंग इकाई शुरू करने के लिए यूएनडीपी से सहायता प्राप्त कर सकते हैं। हम सबने मिलकर इस योजना पर आगे बढ़ने का फैसला लिया। गांव के लोगों ने हमारा खूब साथ दिया और अब स्थिति बदल रही है।

भरत रौतेला कहते हैं कि फूड प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए यूएनडीपी की ओर से हमें मशीन मुफ्त उपलब्ध कराई गई। पहले सीजन के दौरान हमने 15 लाख रुपए की जैम और चटनी बेची। पहला साथ था। इस कारण खर्च अधिक हुआ था। इसके बाद भी हमलोगों ने करीब डेढ़ रुपए का मुनाफा कमाया। उन्होंने दावा किया कि इस सीजन में हम 30 लाख रुपए के कारोबार की उम्मीद कर रहे हैं। अगर हम इस लक्ष्य को हासिल करते हैं तो हमारा शुद्ध लाभ करीब 7 से 8 लाख रुपए का होगा।

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