मसूरी: देर शाम पालिकाध्यक्ष की मध्यस्थता में प्रशासन व दुकानदारों के बीच विस्थापन को लेकर हुई वार्ता, दो विकल्पों पर बनी बात
मसूरी। राज्य सरकार की पुरकुल-मसूरी रोपवे के लिए शासन के निर्देश के बाद पालिका द्वारा छह दुकानों को 15 दिनों में खाली करने का नोटिस मिलने से दुकानदारों, टैक्सी संचालको आदि में भारी आक्रोश है. जिसे देखते हुए नगर पालिका में नगर पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता की मध्यस्थरता में उपजिलाधिकारी मसूरी व टैक्सी यूनियन के पदाधिकारियों, दुकानदारों व गाइड यूनियन की बैठक हुई. बैठक में प्रभावित होने वाले सभी पक्षों के विस्थापन को लेकर गहनता से विचार विमर्श किया गया.
बता दें पुरुकुल-मसूरी रोपवे को लेकर पूर्व में पालिका द्वारा पर्यटन विभाग को शिफन कोर्ट स्थित 4.25 एकड़ भूमि को 30 वर्ष की लीज पर हस्तांतरित किया गया था. इसके उपरान्त पर्यटन विभाग को लाइब्रेरी बस स्टैंड स्थित 189.83 वर्ग मीटर भूमि को भी हस्तांतरित किया जाना है, जिसके लिए वहां पर वर्षों पुरानी बनी दुकाने, टैक्सी यूनियन व गाइड यूनियन के कार्यालय को खाली किया जाना है. इसको लेकर शासन के निर्देश पर राजेश नैथानी अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद मसूरी द्वारा उक्त सभी दुकानों व कार्यालयों को खाली करने के लिए 15 दिन का नोटिस दिया गया. जिसके बाद नगर पालिका अध्यक्ष अनुज गुप्ता द्वारा सचिव पर्यटन को पत्र लिखकर सभी प्रभावित होने वाले पक्षों को खाली करने से पूर्व विस्थापित करने का अनुरोध किया गया. लेकिन अचानक प्रशासन की सक्रियता बढ गयी और एसडीएम नंदन कुमार ने वहां का स्थलीय निरिक्षण किया. जिसके बाद प्रशासन द्वारा सभी को दो तीन दिन के भीतर खाली करने का दबाव बनाया जाने लगा. जिसे लेकर सभी प्रभावित होने वाले पक्षों के साथ ही शहर में भी आक्रोश के हालत पैदा हो गये.
इसे देखते हुए पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता द्वारा उपजिलाधिकारी नंदन कुमार से वार्ता की गयी व प्रभावित होने वाले दुकानदारों, टैक्सी यूनियन, गाइड यूनियन आदि के विस्थापन को लेकर ठोस कार्यवाही करने को कहा गया. पालिकाध्यक्ष ने कहा कि सभी प्रभावित होने वाले दुकाने व कार्यालय वहां पर वर्षों से हैं और सभी पालिका के किरायेदार हैं. सभी के विस्थापन को लेकर स्थायी हल निकालने की आवश्यकता है. वरना शहर की व्यवस्था बिगड़ेगी. जिसे संभालना आसान नहीं होगा. जिसके बाद उपजिलाधिकारी नंदन कुमार नगर पालिका पहुंचे व पालिकाध्यक्ष अनुज गुप्ता, दुकानदारों व टैक्सी यूनियन के पदाधिकारियों के मध्य सकारात्मक वार्ता हुई. बैठक में उपजिलाधिकारी ने साफ़ किया कि वह भूमि हर हाल में खाली होनी ही है. जिस पर पालिकाध्यक्ष ने कहा कि भूमि खाली होने से पूर्व प्रशासन यह स्पष्ट करें कि सभी को फिलहाल अस्थाई रूप से कहा विस्थापित किया जायेगा और उसके बाद स्थायी विस्थापन कहा किया जाएगा. जिस पर उपजिलाधिकारी ने कहा कि फिलहाल सभी को दुकानों के सामने ही टीन शेड डालकर अस्थाई व्यवस्था कर दी जाएगी. वहीँ स्थाई व्यवस्था हेतु मुख्यतः दो विकल्प सामने निकलकर आये. पहला विकल्प कैम्पटी अड्डे पर स्थित लोक निर्माण विभाग का जो भवन है वहाँ पर संभावनाएं तलाशी जायंगी, जिसके लिए नायब तहसीलदार तोमर द्वारा प्रभावित होने वाले पक्षों के साथ देर शाम स्थलीय निरिक्षण भी कर दिया गया है. यदि यहाँ पर निर्माण विभाग के साथ किसी प्रकार की बात नही बनती है तो दूसरा विकल्प किंग क्रेग पार्किंग के समीप स्थित पालिका की भूमि को नगर पालिका द्वारा आवंटित कर दिया जाएगा. जिस पर सभी पक्ष राजी हुए.
इस दौरान उपजिलाधिकारी नंदन कुमार ने आश्वश्त किया है कि बस अड्डे पर बनने वाली अस्थायी व्यवस्था के दौरान कोई भी प्रभावितों को परेशान नही करेगा. इसके लिए लिखित में अग्रीमेंट किया जाएगा. जिसमे उन सभी बिंदुओं अस्थायी समाधान, स्थायी समाधान व उससे सम्बंधित फंडिंग व्यवस्था आदि को शामिल कर दिया जाएगा, ताकि प्रभावितों को आगे चलकर किसी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े. इस दौरान बैठक में नायब तहसीलदार विनोद तिवारी, कर अधीक्षक विनय प्रताप, नगर पालिका, टैक्सी यूनियन के महासचिव सुंदर सिंह पंवार, पत्रकार भगवान सिंह चौहान, प्रदीप रावत, अमित कैंतुरा, अतुल कैंतुरा, अर्जुन सिंह, विक्रम पंवार, विजेंद्र सिंह, गाइड यूनियन के पदाधिकारी आदि मौजूद रहे.
इससे पहले उपजिलाधिकारी कार्यालय में हुई बैठक रही बेनतीजा
इससे पहले उपजिलाधिकारी नंदन कुमार, दुकानदारों व पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला, पूर्व पालिका अध्यक्ष मन मोहन सिंह मल्ल, व्यापार संघ अध्यक्ष रजत अग्रवाल, महामंत्री जगजीत कुकरेजा, सभासद दर्शन रावत, नायब तहसीलदार विनोद तिवारी आदि के बीच मामले को लेकर वार्ता हुई. इस दौरान सभी ने उपजिलाधिकारी को साफ़ किया कि जब तक दुकानदारों को विस्थापित नहीं किया जाता है, तब तक दुकानें नहीं तोड़ने दी जायेंगी व अगर प्रशासन ने जबरदस्ती की तो कड़ा विरोध किया जायेगा.
इस मौके पर व्यापार संघ अध्यक्ष रजत अग्रवाल ने कहा कि जब नगर पालिका ने 15 दिन का समय दिया है तो प्रशासन दो तीन दिनों में दुकानें तोड़ने की बात क्यों कर रहा है. जबकि नगर पालिका परिषद के नोटिस में दुकाने तोड़ने को कोई जिक्र नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि पहले जिनकी दुकाने तोड़ी जानी है पहले उन्हें विस्थापित किया जाय. अगर ऐसा नहीं किया गया तो इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा और जरूरत पड़ी तो आन्दोलन भी किया जायेगा.
वही टैक्सी यूनियन के महासचिव सुंदर सिंह पंवार ने कहा कि इस मामले में उपजिलाधिकारी ने मौके पर कोई बात नहीं की. इसलिए सभी एसडीएम कार्यालय आये है. उन्होंने कहा कि पहले यहां के दुकानदारों को विस्थापित किया जाय या जब रोपवे बनेगा,तो उसमें दुकानें आंवटित करने के लिए लिखित रूप में दिया जाय. अगर ऐसा नहीं होता तो कड़ा विरोध किया जायेगा.
दुकानदार बलबीर ने कहा कि हम नगर पालिका के किरायेदार है और करीब तीन दशक से अधिक समय से है. ऐसे में अचानक दुकान तोड़ने की बात समझ से बाहर है. जब नोटिस दिया है तो 15 दिन तो होने दें. व इस बीच कहीं भी उन्हें दुकान बना कर दें. ताकि वे अपने परिवार का पालन कर सकें.अचानक प्रशासन के फैसले का कड़ा विरोध किया जायेगा. इस दौरान पत्रकार भगवान् सिंह चौहान ने प्रशासन से सवाल किया कि बिना किसी लिखित आदेश के कैसे दुकाने खाली करने को कहा जा रहा है, जबकि नोटिस भी 15 दिन का है. हालाँकि इस दौरान प्रशासन किसी को दुकानों को तोड़ने का आर्डर नही दिखा पाए. जिसके बाद बैठक बेनतीजा ख़त्म हुई. उपजिलाधिकारी का कहना था कि एक दो दिन में ही दुकाने खाली कर दी जाय. जबकि एक दो दिन में अस्थायी व्यवस्था भी इतनी जल्दी नहीं बन सकती है.आखिरकार प्रशासन को इतनी जल्दी क्यों है? स्थानीय लोगों के साथ ही प्रभवित होने वाले पक्षों का कहना है कि बिना विस्थापन के अगर प्रशासन दुकानों को बल पूर्वक तोड़ता है तो यह इस सरकार की तानाशाही को दर्शाता है. इसका पुरजोर विरोध किया जाएगा. हालाँकि इस दौरान बैठक में कोई ठोस निर्णय नहीं निकल सका.