भारत ने रचा इतिहास, चंद्रयान 3 के चंद्रमा की सतह पर लैंड करते ही झूम उठे भारतीय
नई दिल्ली: चंद्रयान 3 के चंद्रमा की सतह पर लैंड करते ही भारत ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है। चांद पर सफलतापूर्वक चंद्रयान-3 के लैंड होने के गौरवशाली पल के करोड़ों भारतीय साक्षी बने। चंद्रयान 3 के लैंड होते ही पूरे देशवासी झूम उठे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों व देशवासियों को इस सफ़लता पर बधाई दी।
दरअसल मिशन के आखिरी 17 मिनट को लेकर सबके मन में सवाल था। चंद्रयान-3 की लैंडिंग पर पूरी दुनिया की नजरें थीं। चंद्रयान-3 के लिए सबसे अधिक चुनौती थी सॉफ्ट लैंडिंग के आखिरी 17 मिनट की। इसी 17 मिनट को सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण शुरुआत से बताया गया। चंद्रयान-2 आखिरी वक्त में इसी समय अपने टारगेट से चूक गया था। साल 2019 में सेफ लैंडिंग नहीं हुई थी और इससे सबक लेते हुए चंद्रयान-3 में कई अहम बदलाव किए गए थे। चांद पर उतरने के इन्हीं आखिरी 17 मिनट को टेरर मिनट कहा जाता है और इसके लिए इसरो ने इस बार खास तैयारी की थी। लैंडर मॉड्यूल ने बड़ी सावधानी से चांद की सतह पर कदम रखा। इसके साथ ही भारत ने इतिहास नया इतिहास रच दिया है। इसरो के वैज्ञानिक अग्नि परीक्षा में कामयाब रहे।
अब असली चंद्रयान मिशन शुरू होगा। लैंडर के पेट से निकलकर रोवर प्रज्ञान आसपास का जायजा लेगा। लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान में जो पेलोड्स लगे हैं, वे एक्टिवेट किए जाएंगे। फिर इनकी मदद से चांद के बारे में अहम डेटा इसरो को भेजा जाएगा। लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को कई तरह के प्रयोग और स्टडी करनी हैं। आइए जानते हैं कि चंद्रयान-3 के लैंडर और रोवर हमें चांद के कौन-कौन से राज बताएंगे।
विक्रम लैंडर में हैं चार पेलोड्स
RAMBHA – यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा।
ChaSTE – यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा।
ILSA- यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा।
लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे (LRA)- यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा।
6 पहियों वाला रोवर है प्रज्ञान
चंद्रमा पर चलेगा और तस्वीरें लेगा। इसमें इसरो का लोगो और तिरंगा बना हुआ है। जैसे-जैसे प्रज्ञान आगे बढ़ेगा, चांद की सतह पर तिरंगा और इसरो का लोगो बनता चला जाएगा।
1 सेंटीमीटर/सेकंड की रफ्तार से चांद की सतह पर चलेगा रोवर। अपने कैमरों की मदद से चांद पर मौजूद चीजों की स्कैनिंग करेगा।
चांद के मौसम का हाल पता करेगा। इसमें ऐसे पेलोड हैं, जो चांद की सतह के बारे में बेहतर जानकारी देंगे। यह आयन और इलेक्ट्रॉन की मात्रा बताएगा।
प्रज्ञान इन जानकारियों को जुटाकर लैंडर तक पहुंचाएगा। प्रज्ञान सिर्फ लैंडर से संवाद कर सकता है और ये लैंडर ही होगा, जो धरती पर डाटा भेज रहा होगा।
जी हां, भारत की यह उपलब्धि कितनी बड़ी है, इसे हर भारतीय को समझना जरूरी है। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला भारत पहला देश बन गया है। रूस का लूना 25 भी दक्षिणी ध्रुव पर नहीं उतर सका। जितने बजट में भारत में फिल्म बनती है, इसरो ने चांद पर अपना चंद्रयान उतार दिया। अपना चंद्रयान-2 भले ही चांद पर नहीं उतरा लेकिन उसका ऑर्बिटर अब भी काम कर रहा है।
आज हम ऐतिहासिक घटना के गवाह बने
पहली बार 14 सितंबर 1959 को मानव निर्मित यान चांद पर उतरा था। वह रूस का लूना-2 था। अगर आप 40 साल की उम्र के आसपास हैं तो आपके पिता की उम्र उस समय साल दो साल ही रही होगी। ऐसे में समझिए कि आज का दिन कितना ऐतिहासिक है। खास बात यह है कि जब भारत ने मून मिशन शुरू किया तो उसने मुश्किल लक्ष्य चुना। चंद्रमा के उजले हिस्से में उपकरणों को धूप से रोशनी मिलती रहती है। ऐसे में अब तक किसी भी देश ने अपने यान को अंधेरे वाले हिस्से में उतरने की हिम्मत नहीं की थी। जिस इलाके में अपना विक्रम लैंडर उतरा है वहां आसपास कई किलोमीटर लंबे-चौड़े गड्ढे हैं। यहां बहुत ज्यादा तापमान और -200 डिग्री तापमान भी हो जाता है। यहां की मिट्टी के बारे में किसी को कुछ नहीं पता है। कहते हैं कि लाखों साल से ये वैसी ही है। अपना रोवर अब 14 दिनों तक चांद की सतह पर घूमकर मिट्टी की जांच करेगा, पानी की संभावना तलाशेगा। इससे धरती और चांद के ही नहीं सौर मंडल के रहस्य सामने आ सकते हैं।