France Riots: नाहिल एम की हत्या को लेकर तीन दिन से धधक रहा फ्रांस, जाने कौन है नाहिल

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France: फ्रांस तीन दिन से धधक रहा है। वजह 17 साल के एक लड़के की हत्या है। 27 जून को राजधानी पेरिस के सब अर्बन एरिया नेन्तेरे में पुलिस अफसर ने नाहिल एम नाम को गोली मार दी थी। वह टेकअलवे डिलीवरी ड्राइवर था और अपनी मां का इकलौता सहारा था। उसे रग्बी खेलना पसंद था। उसकी हत्या से पूरा परिवार टूट गया है। नाहिल को इंसाफ दिलाने के लिए उसकी मां मशाल लेकर सड़कों पर निकल पड़ी थी। इस घटना के बाद से ही फ्रांस में दंगे फैल गए हैं। आलम यह है कि इमरजेंसी घोषित करने की चर्चा चल रही है।

इलेक्ट्रीशियन बनना चाहता था नाहेल

नाहेल अल्जीरियाई मूल का था। उसका स्कूली इतिहास काफी उथल-पुथल भरा रहा है। वह नेन्तेरे शहर में पला-बढ़ा। मां मौनिया के साथ वह रहता था। उसने अपने पिता को कभी नहीं देखा। उसने घर के पास ही सुरेन्सेस के एक कॉलेज में दाखिला लिया था। उसकी इच्छा इलेक्ट्रीशियन बनने की थी। पिछले तीन सालों से नाहेल पाइरेट्स ऑफ नैनटेरे रग्बी क्लब का सक्रिय सदस्य था। उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड भी नहीं था, लेकिन पुलिस उसे जानती थी।

जान देकर चुकानी पड़ी कार न रोकने की कीमत

मंगलवार सुबह उसे ट्रैफिक पुलिस ने रोका, उस वक्त वह मर्सिडीज चला रहा था। तभी एक पुलिस अफसर ने उसे गोली मार दी। गोली लगने के बाद भी वह गाड़ी लेकर भागा, आगे जाकर कार टकरा गई। इसके बाद उसकी मौत हो गई। उसकी हत्या के बाद आरोपी पुलिस अफसर को हिरासत में ले लिया। कुछ लोग इसे नस्लभेद हिंसा से जोड़ रहे हैं। कारण नाहेल अल्जीरियाई मूल का था।

हालांकि नाहेल के परिवार के वकील, यासीन बुजरू का कहना है कि घटना को केवल नस्लवाद के चश्मे से देखने के बजाय न्याय मांगने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

पुलिसिंग सिस्टम पर उठे सवाल

जैसे-जैसे विरोध प्रदर्शन जारी है और नाहेल की हत्या की जांच सामने आ रही है। फ्रांस की कानून प्रवर्तन प्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। आलोचकों का तर्क है कि मौजूदा सिस्टम अक्सर पुलिस अधिकारियों को बचाता है। जिससे आरोपी अधिकारी बचकर निकल जाते हैं। भविष्य में ऐसी कोई घटना न हो, इसके लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।

सोशलिस्ट पार्टी के नेता ओलिवियर फॉरे ने कहा कि रुकने से इनकार करने से आपको हत्या करने का लाइसेंस नहीं मिल जाता। लोकतांत्रिक देश में सभी बच्चों को न्याय पाने का अधिकार है।

2005 के दंगों की याद ताजा

नाहेल की हत्या से भड़के दंगे 2005 में हुई घटना की याद दिलाते हैं। उस समय एक फुटबॉल मैच के बाद पुलिस से भागते समय दो किशोरों जायद बेना और बौना ट्रैओरे ने अपनी जान गंवा दी थी। इन घटनाओं ने पुलिस की जवाबदेही और सुधार की आवश्यकता के बारे में नए सिरे से चर्चा शुरू कर दी है।

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