
शासन प्रशासन व पेयजल निगम के दावे हुए खोखले साबित, यमुना मसूरी पेयजल योजना के पानी के लिए मसूरीवासियों करना होगा और इंतजार
मसूरी। पेयजल निगम ने भले ही केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत 144 करोड़ की राज्य की सबसे बड़ी यमुना मसूरी पेयजल योजना को तय समय में पूरा करने का दावा किया हो। लेकिन अभी भी मसूरीवासियों को यमुना मसूरी पेयजल योजना के पानी के लिए और इंतजार करना होगा।
पर्यटन नगरी मसूरी में बढ़ते पानी की किल्लत को देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा यमुना पेयजल योजना लिए 144 करोड़ स्वीकृत किए और योजना का कार्य अब पूरा भी हो चुका है। अभी तक मसूरी में लगभग 15 एमएलडी पानी की आवश्यकता है, जबकि जल संस्थान केवल लगभग 7 एमएलडी पानी ही उपलब्ध करा पा रहा है। ऐसे में मसूरीवासियों की यमुना पेयजल योजना से बड़ी आस लगाई हुई है। मगर योजना का कार्य पूर्ण होने के बावजूद पेयजल निगम पानी की आपूर्ति नहीं कर पाया है। हाल यह है कि जैसे तैसे होटल वाले तो पानी के टैंकरों से पानी मंगा कर अपना काम चला रहे हैं, लेकिन आम जनता पानी की बूंदबूूद के लिए तरस रही है। कई क्षेत्रों में लोग पेयजल की आपूर्ति न होने से जूझ रहें हैं। शासन प्रशासन व पेयजल निगम द्वारा दावा किया गया था कि मार्च माह तक यमुना पेयजल योजना का पानी मसूरी पहुंच जायेगा, लेकिन फिलहाल ऐसा होता नही दिख रहा है। सीजन भी अंतिम चरण में है।
आपको बता दें पहली बार ऐसा हुआ कि पानी की कमी के चलते लोगों को सीजन में ढाबे भी बंद करने पड़े। यही नहीं सार्वजनिक शौचालय भी पानी न होने के कारण बंद किए गये। ऐसे में शासन प्रशासन व पेयजल निगम के दावे खोखले साबित हुए हैं।
हालांकि पेयजल निगम द्वारा भरसक प्रयास किए गए कि सीजन तक मसूरीवासियों के लिए यमुना मसूरी पेयजल योजना धरातल पर उतारा जा सके और जनता को योजना का लाभ मिल सके। इसके मद्देनजर विभाग द्वारा लाइब्रेरी स्थित राधा भवन स्टेट में बने टैंक तक पहुंचा दिया गया। इससे पूर्व लाइनों की सफाई का कार्य किया गया व पानी गिराया गया व उसके बाद ही टैंक भरा गया। लेकिन अब बात जल संस्थान के पाले में जाकर अटक गई है। दरअसल जल संस्थान ने साफ किया है कि जब तक वह खुद पानी की टेस्टिंग नही करवा लेता तब तक पानी नही ले सकते। क्योंकि जनता को पानी देने से पहले इसकी जांच करना जरूरी है। हालांकि जल निगम ने पहले टेस्टिंग करवाई तो पानी फेल हो गया था। क्योंकि तब पानी में मिटटी आदि आ रही थी। उसके बाद उन्होंने दूसरी बार टेस्टिंग करवाई तो पानी की टेस्टिंग सफल रही। इस बीच फिर से पानी टैंक में भर दिया गया है, लेकिन अब कहा जा रहा है कि पानी में सिल्ट आ गई है। उसे पूरा खाली करने के बाद सफाई की जा रही है। इससे ऐसा लगता है कि जुलाई तक भी पानी नहीं मिल पायेगा। दूसरी बात यह है कि पानी की पंपिंग के लिए अभी तक बिजली का स्टेशन नही बना। जो पानी यमुना से पंप किया गया उसमें अकादमी की लाइन से पंप को जोड़ा गया। लेकिन इसमें इतनी पावर नहीं है कि दिन रात पंप को चलाए जा सकें। कई चरणों में पंप किये जाने के बाद ही पानी राधा भवन टैंक तक पहुंचा है।
जल निगम का कहना है कि विद्युत स्टेशन बनाने के लिए बिजली विभाग को पैसा दिया जा चुका है लेकिन अभी तक इसका कार्य शुरू नहीं किया गया है। हालांकि इस बार जब भी पानी आयेगा तो दो से तीन एमएलडी पानी ही यमुना से सप्लाई किया जा सकेगा। व जब स्टेशन बन जायेगा तो उसके बाद धीरे धीरे एक साल के अंदर पानी की सप्लाई बढाई जायेगी व करीब 16 एमएलडी पानी मसूरी को मिल पायेगा।