उत्तराखंड में भू धंसाव की बढती घटनाओं के मद्देनजर मसूरी, नैनीताल सहित 15 प्रमुख शहरों की भार वहन क्षमता का किया जायेगा आंकलन
देहरादून: उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (USDMA) ने राज्य के प्रमुख शहरों की भार वहन क्षमता का आकलन करने के लिए एक अध्ययन शुरू करने का निर्णय लिया है। अधिकारियों का कहना कि परियोजना के पहले चरण में मसूरी, नैनीताल और लैंसडाउन के लोकप्रिय वैकेशन स्थलों सहित 15 शहरी क्षेत्रों की पहचान की गई है। यहां देश और विदेश से पर्यटक आते हैं। इन स्थानों को लेकर पर्यावरणविदों और कार्यकर्ताओं दोनों की ओर से लंबे समय से नीति में बदलाव की मांग की जा रही है। ऐसे में सरकार ने नीति में बदलाव के संकेत दिए हैं। मानसून के बाद शहरों का तकनीकी और वैज्ञानिक अध्ययन शुरू होगा।
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को बताया कि विशेषज्ञों की ओर से वैज्ञानिक और तकनीकी अध्ययन किया जाएगा। उनकी सिफारिशों के आधार पर कस्बों, खासकर पहाड़ी इलाकों में निर्माण कार्यों को मंजूरी दी जाएगी। जोशीमठ में भूमि धंसने का मामला सामने आने के तुरंत बाद सीएम धामी ने 10 जनवरी को कहा था कि सरकार ने पहाड़ों पर स्थित शहरों और कस्बों का तकनीकी और वैज्ञानिक अध्ययन कराने का फैसला किया है। सीएम के निर्देश पर काम करते हुए यूएसडीएमए ने प्रोफेशनल एजेंसियों से अध्ययन कराने की योजना तैयार की है। आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत सिन्हा ने कहा कि परियोजना के लिए टेंडर जल्द ही जारी किए जाएंगे। मसूरी, नैनीताल और लैंसडाउन के अलावा पौड़ी, टिहरी, गोपेश्वर, उत्तरकाशी, अल्मोड़ा, धारचूला, कपकोट, रानीखेत, चंपावत, भवाली और पिथौरागढ़ में भार क्षमता का अध्ययन किया जाएगा। अधिकारियों ने कहा कि परियोजना के बाद के चरणों में अन्य क्षेत्रों को भी शामिल किया जाएगा।
अधिकारियों का कहना है कि जिन एजेंसियों को विभाग की ओर से अंतिम रूप से मंजूरी दी जाएगी और सूचीबद्ध किया जाएगा, वे शहर की भार-वहन क्षमता, हर साल आने वाले पर्यटकों की संख्या और शहर में सालाना आने वाले आगंतुकों की सही संख्या का अध्ययन करेंगे। अध्ययन का एक अन्य पहलू मौजूदा जल निकासी प्रणाली और इसे और कैसे विकसित किया जा सकता है, यह होगा। अध्ययन का तीसरा प्रमुख बिंदु ढलान (झुकाव) की डिग्री का पता लगाना होगा, जिस पर घर बनाए गए हैं। उन इमारतों की पहचान की जाएगी, जो अच्छी स्थिति में नहीं हैं। इमारतों की निर्धारित ऊंचाई और अनुमोदित सीमा का उल्लंघन करने वालों की संख्या का पता भी लगाया जाएगा।
एजेंसियां यह भी पता लगाएंगी कि प्राकृतिक आपदा के दौरान कितने घर सुरक्षित क्षेत्र में नहीं हैं। जोशीमठ मुद्दे के बावजूद, उत्तराखंड में चार धाम तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ देखी गई है। तीर्थयात्रा शुरू होने के बाद से करीब 36 लाख तीर्थयात्रियों ने यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के चार पवित्र मंदिरों में पूजा-अर्चना की है। इसके अलावा 1.4 लाख तीर्थयात्री हेमकुंड साहिब के दर्शन कर चुके हैं। ऐसे में इस स्टडी रिपोर्ट को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार आने वाले समय में पहाड़ों पर आने वाले पर्यटकों और तीर्थयात्रियों की संख्या का निर्धारण कर सकेगी।