नूह सांप्रदायिक हिंसा के बीच दिखी भाईचारे की मिशाल, मुस्लिम परिवार बना देवदूत, बचाई हिंदूओ की जान

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गुरुग्राम: नूंह हिंसा की आग हरियाणा के  गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल समेत कई जगहों तो पहुंच गई है। लेकिन इसी सांप्रदायिक हिंसा और तनाव के बीच प्रेम और सद्भावनाओं की खबरें भी सामने आ रही हैं। सांप्रदायिक झड़प होने पर एक मुस्लिम परिवार ने हिंदू पिता-पुत्र और एक महिला पुलिसकर्मी के लिए अपने दरवाजे खोल दिए। इन पीड़ितों के पीछे हमलावर पड़े थे और वे जान बचाकर भाग रहे थे। मुस्लिम परिवार ने उन्हें शरण देकर उनकी जान बचाई। परिवार ने न केवल उन्हें हमलावरों से बचाया, बल्कि उन्हें भोजन दिया और घर के बाहर पहरा देकर उनकी रखवाली भी की, ताकि कोई उन पर हमला न कर सके।

सोमवार शाम को हमलावर तितर-बितर किए गए। पुलिस की टीमें सड़कों पर थीं, तो परिवार ने पिता और पुत्र को मुस्लिम प्रतीकों वाली टी-शर्ट और पुलिसकर्मी को एक बुर्का दिया ताकि वे सुरक्षित अपने घर पहुंच सकें।

सोहना निवासी प्रॉपर्टी डीलर करण सिंह और उनका छोटा बेटा विवेक एक प्लॉट देखने के लिए नूंह के पिनंगवान गए थे। लौटते समय दोनों पिता-पुत्र ने बृज मंडल जलाभिषेक यात्रा में भाग लेने का फैसला किया। यह यात्रा नलहर में शिव मंदिर की ओर जा रही थी। वे दोनों कुछ किलोमीटर दूर तक इस यात्रा में चले। कुछ दूरी पर अचानक हमला हो गया।

विवेक सिंह और करण सिंह को उनकी एसयूवी से बाहर खींच लिया गया और लाठियों से पीटा गया। वे अपनी जान बचाने के लिए भागे। भीड़ उनके पीछे भाग रही थी। उन्हें लगा शायद यह उनकी जिंदगी का आखिरी दिन होगा। लेकिन वे भागे जा रहे थे। बेदम पिता-पुत्र को एक घर में आश्रय मिला।

यहां 15 लोगों का एक मुस्लिम संयुक्त परिवार था जो घर में रह रहा था। यहां के रहने वालों ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे अंदर सुरक्षित रहेंगे। कुछ मिनट बाद, दरवाजे पर फिर से तेज दस्तकें हुईं। इस बार पथराव कर रही भीड़ के बीच से भाग रही पुलिसकर्मी महिला थी। परिवार ने उन्हें भी शरण दी। उन तीनों का अच्छे से ख्याल रखा और उन्हें सांत्वना भी दी। उन्हें आश्वासन दिया कि वे सुरक्षित घर पहुंचेंगे।

विवेक और करण ने उस मुस्लिम परिवार का नाम बताने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि अगर वे परिवार का नाम बताते हैं तो उन्हें अपने मुस्लिम समुदाय के लोगों की प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ सकता है। प्रॉपर्टी डीलर ने बताया, ‘हमें अंदर जाने देने के बाद, वे घर के बाहर पहरा देते रहे ताकि कोई आसपास न जा सके। अगर कोई देवदूत है, तो वह वे ही हैं।’ उनके साथ ही उनका बेटा विवेक और पुलिसकर्मी लगभग पांच घंटे तक घर में रहे। उन्हें खाना खिलाया, प्राथमिक उपचार किया और उन्हें किसी भी चीज की कमी नहीं होने दी। जब चीजें कुछ हद तक शांत हो गईं, तो उन्होंने मुझे और मेरे बेटे को मुस्लिम प्रतीकों वाली टी-शर्ट दी। पुलिस वाले को बुर्का दिया गया। जब तक सिंह अपनी फॉर्च्यूनर के पास लौटे, वह जलकर खाक हो चुकी थी। उसके अंदर छोड़े गए सभी दस्तावेज और उसका मोबाइल फोन भी जल गया। पुलिस की एक टीम पिता-पुत्र को उनके सोहना स्थित घर ले गई।

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भगवान सिंह चौहान(संपादक) मोबाइल: 7060969229, 9258205597